लोकसभा में अमित शाह का विपक्ष पर तीखा हमला, कहा – पाकिस्तान को बचाने की कोशिश कर रही है कांग्रेस

संसद के मानसून सत्र के दौरान 29 जुलाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विपक्ष, खासकर कांग्रेस पार्टी पर ज़बरदस्त प्रहार किए। उन्होंने कांग्रेस पर सीधा आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बचाने की कोशिश कर रही है। शाह ने अपने भाषण की शुरुआत में ही पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर सोनिया गांधी और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम तक को आड़े हाथों लिया और कहा कि कांग्रेस की ऐतिहासिक भूलों ने देश की सुरक्षा और संप्रभुता को बार-बार कमजोर किया है।


केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों के आकाओं को ज़मीन में मिलाने का काम किया और कल हमारी सेना और CRPF ने उन तीन आतंकियों को भी समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन महादेव, हमारे देश की सेना, CRPF और जम्मू कश्मीर पुलिस की एक बहुत बड़ी साझा कामयाबी है जिसपर देश की 140 करोड़ जनता को नाज़ है। उन्होंने बताया कि आतंकी हमले के बाद वे स्वयं पहलगाम जाकर वहां मृतकों के परिजनों से मिले थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने ऑपरेशन सिंदूर से आतंकियों को भेजने वालों को मारा और हमारे सुरक्षाबलों ने उन आतंकियों को भी मार दिया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसा सबक सिखाया गया है कि आने वाले लंबे समय तक तक कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा।

अमित शाह ने कहा कि जिस दिन लश्कर और इसके आउटफिट TRF ने पहलगाम हमले की ज़िम्मेदारी ली थी, उसी दिन हमने ये तय कर लिया था कि इस हमले की जांच एनआईए करेगा। उन्होंने कहा कि एनआईए को आतंकवाद के मामलों की वैज्ञानिक तरीके से जांच करने और सज़ा कराने में एक वैश्विक मान्यता वाली एजेंसी के रूप में महारत हासिल है और एनआईए का सज़ा कराने का दर 96 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले की जांच तुरंत ही एनआईए को सौंप दी गई और सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस बात की पूरी व्यवस्था कर दी कि ये आतंकवादी देश छोड़ पाकिस्तान न भाग सकें। उन्होंने सदन को बताया कि हमले की जांच की शुरूआत में मृतकों के परिजनों से चर्चा की गई, पर्यटकों, खच्चर वालों, पोनी वालों, फोटोग्राफर, कर्मचारियों और दुकानों में काम करने वाले कुल 1055 लोगों से 3000 घंटों से भी अधिक लंबी पूछताछ की गई और ये सब वीडियो पर रिकॉर्ड किया गया। श्री शाह ने बताया कि पूछताछ से मिली जानकारी के आधार पर आतंकियों के स्केच बनाए गए और 22 जून, 2025 को बशीर और परवेज़ की पहचान की गई जिन्होंने पहलगाम हमले के अगले दिन आतंकियों को शरण दी थी। उन्होंने कहा कि बशीर और परवेज़ को गिरफ्तार किया गया और इन्होंने खुलासा किया कि 21 अप्रैल, 2025 की रात को 8 बजे तीन आतंकी इनके पास आए थे और उनके पास ए के 47 और एम 9 कार्बाइन थी। श्री शाह ने सदन को जानकारी दी कि बशीर और परवेज़ की मां ने भी तीनों मारे गए आतंकियों को पहचान लिया है और अब FSL से भी इस बात की पुष्टि हो गई है। उन्होंने कहा कि यही तीनों पहलगाम हमले में शामिल आतंकी थे और इस हमले में इनके पास से मिली 2 ए के 47 और एक एम 9 कार्बाइन का उपयोग हुआ था।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कल देश के पूर्व गृह मंत्री ने सवाल उठाया था कि क्या ये आतंकी पाकिस्तान से आए थे। उन्होंने कहा कि हमारे पास सारे सबूत है कि ये तीनों पाकिस्तानी थे क्योंकि तीन में से दो आतंकियों के पाकिस्तानी वोटर नंबर भी उपलब्ध हैं, राइफलें भी उपलब्ध हैं, इनके पास से मिली चॉकलेट्स भी पाकिस्तान में बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के सामने देश का पूर्व गृह मंत्री पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रहा है और ऐसा कर ये सवाल भी खड़ा कर रहे हैं कि हमने पाकिस्तान पर हमला क्यों किया था। श्री शाह ने कहा कि पूरी दुनिया ने, जहां जहां हमारे सांसद गए थे, यह स्वीकारा है कि पहलगाम आतंकी हमला पाकिस्तान ने किया था। उन्होंने कहा कि देश के पूर्व गृह मंत्री इस बात का सबूत मांगते  हैं लेकिन पाकिस्तान को बचाने का इनके इस षड्यंत्र को आज देश की 140 करोड़ जनता जान गई है।

श्री अमित शाह ने लोक सभा को बताया कि 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इन मृतकों में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। उन्होंने कहा कि वह स्वयं उसी वक्त श्रीनगर के लिए रवाना हो गए थे और रात को ही सुरक्षाबलों और सभी एजेंसियों के साथ बैठक कर निर्देश दिए कि हमले में शामिल आतंकी देश छोड़कर न भाग सकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने 23 और 30 अप्रैल को Cabinet Committee on Security (CCS) की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बताया कि 23 अप्रैल की बैठक में सबसे पहले सिंधु जल संधि को स्थगित करने का काम प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया। इसके बाद अटारी के माध्यम से चल रही एकीकृत जांच चौकी को बंद किया गया, पाकिस्तानी नागरिकों के सार्क वीज़ा को सस्पेंड कर सभी को पाकिस्तान वापिस भेजने का काम किया गया, पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत रक्षा, सैन्य, नौसेना के सलाहकारों को अवांछनीय व्यक्ति घोषित किया गया और उनकी संख्या को 55 से घटाकर 30 किया। उन्होंने कहा कि CCS बैठक में यह संकल्प लिया गया कि जहां भी ये आतंकवादी छिपे हैं उन्हें और उन्हें ट्रेनिंग देने वालों को सेना, जम्मू कश्मीर पुलिस, CRPF और BSF द्वारा उचित जवाब दिया जाएगा।

श्री अमित शाह ने कहा कि हमारी सेना ने जो जवाबी कार्रवाई की है उससे बड़ी संयमित कार्रवाई नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने आतंकियों के साथ-साथ उनके 9 अड्डों को ध्वस्त कर दिया और भारत की कार्रवाई में एक भी नागरिक नहीं मारा गया है। उन्होंने कहा कि “Surgical Strike” और “Air Strike” में भी हमने POK में ही हमला किया था। उन्होंने कहा कि पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) हमारा ही है। उन्होंने कहा कि इस बार ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमने पाकिस्तान के अंदर 100 किलोमीटर तक घुस कर आतंकवादियों को समाप्त किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेनाओं द्वारा पाकिस्तान के अंदर आतंकियों के ठिकानों पर किए गए हमलों में कई वांछित और दुर्दांत आतंकवादी मारे गए। श्री शाह ने कहा कि विपक्ष की सरकार के समय भारत की धरती पर आतंकी हमला करने के बाद जो आतंकी छिपे बैठे थे, अब उन सबको चुन-चुन कर हमारी सेना ने समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत कम से कम सवा सौ से अधिक आतंकियों को समाप्त किया गया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सात मई को रात 1 बज कर 22 मिनट पर हमारे डीजीएमओ (DGMO) ने पाकिस्तान के DGMO को बता दिया कि हमने केवल आतंकवादियों के ठिकानों और उनके हेडक्वार्टर पर हमला किया है जो हमारा आत्मरक्षा का अधिकार है। उन्होंने कहा कि आज देश में नरेन्द्र मोदी जी की सरकार है और अब ऐसा हो नहीं सकता कि वो आकर मारें, और हम चुपचाप बैठे रहें और चर्चा करें। श्री शाह ने कहा कि उरी आतंकी हमले के बाद हमने सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) की, पुलवामा आतंकी हमले के बाद एयर स्ट्राइक (Air Strike) की और अब पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की सीमा में 100 किलोमीटर तक अंदर घुसकर आतंकियों के नौ ठिकानों और 100 से ज़्यादा आतंकवादियों को हमने समाप्त कर दिया है।  

श्री अमित शाह ने कहा कि हमने पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया जिसे पाकिस्तान ने अपने ऊपर हमला मान लिया और पूरी दुनिया से कहने लगा कि पाकिस्तान का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि लेकिन जब आतंकवादियों के जनाज़े में पाकिस्तान सेना के आला अफसर उपस्थित हुए, तब पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने एक्सपोज़ हो गया कि पाकिस्तान टेररिज़्म का स्टेट-स्पॉन्सर है। श्री शाह ने कहा कि 8 मई को पाकिस्तान ने हमारे रिहायशी इलाकों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया और इस हमले के कारण एक गुरुद्वारे को नुकसान पहुंचा, एक मंदिर टूटा और कुछ हमारे नागरिक हताहत हुए। उन्होंने कहा कि इसके बाद अगले दिन भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए उसके 11 एयरबेस को क्षतिग्रस्त कर दिया।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने हमारे रिहायशी इलाकों पर हमला किया लेकिन फिर भी हमने पाकिस्तान के रिहायशी इलाकों पर कभी हमला नहीं किया।  उन्होंने कहा कि भारत ने सिर्फ पाकिस्तान के एयर बेस और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया और उनके आक्रमण करने की क्षमता को पंगु कर दिया। उन्होंने कहा कि इसके बाद पाकिस्तान के पास शरण में आने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था और इसीलिए 10 मई को पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO को फोन किया और पांच बजे हमने इस संघर्ष को विराम दिया। श्री शाह ने कहा कि विपक्ष इस बात पर सवाल उठा रहा है कि अगर हम इतनी अच्छी स्थिति में थे तो हमने युद्ध क्यों नहीं किया? उन्होंने कहा कि युद्ध के कई परिणाम होते हैं और इसका निर्णय सोच कर करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अगर हम देश के इतिहास को देखें तो 1948 में कश्मीर में हमारी सेनाएं निर्णायक पड़ाव पर थीं और उस वक्त सरदार पटेल के मना करने के बावजूद जवाहर लाल नेहरू जी ने एकतरफ़ा युद्ध विराम कर दिया। उन्होंने कहा कि आज अगर POK का अस्तित्व है तो वो जवाहर लाल नेहरू के युद्धविराम के निर्णय के कारण है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, 1960 में सिंधु जल पर भौगोलिक और रणनीतिक रूप से हम बहुत मजबूत थे लेकिन तब भी सरदार पटेल के विरोध के बावजूद नेहरू जी ने सिंधु समझौता किया और भारत का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को दे दिया।

श्री अमित शाह ने कहा कि 1965 की लड़ाई में हाजी पीर जैसी स्ट्रेटेजिक जगह पर हमने  कब्ज़ा कर लिया था लेकिन 1966 में उसे पाकिस्तान को लौटा दिया। उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के 93,000 युद्धबंदी और 15,000 वर्ग किलोमीटर का पाकिस्तान का क्षेत्र हमारे पास थे। उन्होंने कहा कि लेकिन तत्कालीन सरकार ने शिमला समझौता किया और हम पाक अधिकृत कश्मीर लेना ही भूल गए। उन्होंने कहा कि अगर उस वक्त 'पाक अधिकृत कश्मीर'  ले लेते तो आज यह स्थिति ही उत्पन्न नहीं होती। श्री शाह ने कहा कि इतना ही नहीं, हमने पाक अधिकृत कश्मीर तो लिया ही नहीं, बल्कि हमारे कब्ज़े में आ चुकी 15,000 वर्ग किलोमीटर भूमि भी पाकिस्तान को वापस दे दी।

श्री अमित शाह ने विपक्ष से सवाल किया कि 1962 के युद्ध में क्या हुआ था और चीन को 38 हजार वर्ग मीटर अक्साई चिन का हिस्सा क्यों दे दिया गया? उन्होंने कहा कि संसद में हुई एक चर्चा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था कि वहां घास का एक तिनका भी नहीं उगता है, उस जगह का क्या करें। श्री शाह ने कहा कि नेहरु जी ने आकाशवाणी पर असम को भी बाय-बाय कह दिया था।

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने Selected works of Jawaharlal Nehru सीरीज के वोल्यूम 29 के पृष्ठ 231 का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका ने सुझाव दिया था कि चीन को संयुक्त राष्ट्र संघ में तो ले लिया जाए मगर सुरक्षा परिषद में शामिल नहीं किया जाए, लेकिन नेहरु जी ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है क्योंकि इससे चीन के साथ हमारे संबंध खराब होंगे और चीन जैसे महान देश को बुरा लगेगा। श्री शाह ने कहा कि आज चीन सुरक्षा परिषद में है और भारत बाहर है।

श्री अमित शाह ने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन के साथ एमओयू (MOU) किया लेकिन यह नहीं बताया जाता कि एमओयू में क्या था। उन्होंने कहा कि जब डोकलाम में हमारे सेना के जवान चीन की सेना की आँखों में आँखें डालकर बैठे थे, नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गाँधी चीन के राजदूत के साथ मीटिंग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सारे आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान है और पाकिस्तान विपक्षी पार्टी की भूल है। अगर विपक्षी पार्टी देश का विभाजन स्वीकार न करता तो पाकिस्तान कभी अस्तित्व में नहीं आता। विपक्षी पार्टी ने अपने शासनकाल में विभाजन स्वीकार कर देश को तोड़ा है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2002 में आतंकवाद को समाप्त करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार पोटा (POTA) कानून लेकर आई, जिसका विरोध विपक्षी पार्टी ने किया। उन्होंने कहा कि अटल जी की सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था, जिसकी वजह से मजबूरन वह कानून पारित नहीं हो सका। बाद में दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाया गया और तब जाकर पोटा कानून पारित हो सका। देश इसे कभी भुला नहीं सकता। श्री शाह ने सवाल किया कि पोटा कानून बनने से रोककर विपक्षी पार्टी किसे बचाना चाहती थी? पोटा तो आतंकवादियों के खिलाफ था, लेकिन विपक्ष पोटा को रोककर अपने वोट बैंक का उल्लू सीधा कर, आतंकवादियों को बचाना चाहता था। उन्होंने कहा कि 2004 में विपक्षी पार्टी की सरकार आई और उसने पोटा कानून रद्द कर दिया। उन्होंने पूछा कि किसके फायदे के लिए विपक्षी पार्टी ने पोटा कानून रद्द किया? दिसंबर 2004 में पोटा कानून रद्द हुआ, 2005 में अयोध्या में रामलला के टेंट पर हमला हुआ और आतंकवादी मारे गए। मुंबई लोकल ट्रेन में 2006 में हुए बम धमाके में 187 लोग मारे गए। 2006 में ही डोडा-उधमपुर में हिंदुओं पर हमला हुआ, जिसमें 34 लोग मारे गए। वर्ष 2007 में हैदराबाद में हुए धमाके में 44 लोग मारे गए। 2007 में लखनऊ और वाराणसी में 13 लोग मारे गए। वर्ष 2008 में रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमला हुआ, 2008 में ही श्रीनगर में आर्मी के काफिले पर हमला हुआ और 10 सुरक्षा बल मारे गए। वर्ष 2008 में मुंबई में आतंकी हमला हुआ जिसमें 246 लोग मारे गए। जयपुर में आठ बम धमाके हुए, जिसमें 64 लोग मारे गए। वर्ष 2008 में अहमदाबाद में 21 बम धमाके हुए, जिसमें 57 लोग मारे गए। दिल्ली में 2008 में 5 धमाके हुए, जिसमें 22 लोग मारे गए। पुणे की जर्मन बेकरी में 17 लोग मारे गए। वर्ष 2010 में वाराणसी में धमाके हुए, 2011 में मुंबई में 3 धमाके हुए, जिसमें 27 लोग मारे गए।

 श्री अमित शाह ने कहा कि सवाल यह है कि विपक्षी पार्टी के शासनकाल में वर्ष 2005 से 2011 तक आतंकवादियों ने 27 जघन्य हमले किए, जिसमें 1000 के करीब लोग मारे गए, लेकिन तत्कालीन सरकार ने क्या किया? उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को चुनौती दी कि वह सदन में खड़े होकर देश को बताएं कि तत्कालीन सरकार ने उन आतंकवादी हमलों के खिलाफ क्या कदम उठाए। वे यहां से आतंकवादियों की फोटो और डोजियर पाकिस्तान भेजते रहे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारे समय में जो आतंकवादी घटनाएं हुई हैं, वे पाकिस्तान प्रेरित थीं और मुख्यत: वे कश्मीर केन्द्रित रहीं। देश के किसी अन्य हिस्से में 2014 से 2025 तक शायद ही कोई आतंकी घटना हुई। उन्होंने कहा कि यह नरेन्द्र मोदी सरकार है जिसके कारण अब कश्मीर में आतंकवादी नहीं बनते बल्कि ऐसी स्थिति हो चुकी है कि उन्हें आतंकवादी पाकिस्तान से भेजने पड़ते हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि कहा कि जब दाऊद इब्राहिम कासकर 1986 में देश से भागा, उस वक़्त विपक्षी पार्टी की सरकार थी। जब सैय्यद सलाऊद्दीन 1993 में भागा, उस समय विपक्षी पार्टी की सरकार थी। जब टाइगर मेमन 1993 में भागा, तब विपक्षी पार्टी की सरकार थी। जब अनीस इब्राहिम कासकर 1993 में भागा, तब भी उन्हीं की सरकार थी। वर्ष 2007 में जब रियाज भटकल भागा, तब भी विपक्ष की ही सरकार थी। जब इकबाल भटकल 2010 में भागा, तब भी विपक्षी पार्टी की ही सरकार थी। श्री शाह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए।

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार जनता, संसद और देशहित के प्रति जवाबदेह है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में 2004 से 2014 के बीच 7217 आतंकवादी घटनाएं हुई थीं, जबकि 2015 से 2025 के बीच 2150 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जो आतंकवादी घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी है। उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के बीच 1770 नागरिकों की मृत्यु हुई, जबकि 2015 से 2025 के बीच यह संख्या 357 रही, जो 80 प्रतिशत की कमी है। श्री शाह ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच 1060 सुरक्षा कर्मियों की मृत्यु हुई, जबकि 2015 से 2025 के बीच 542 सुरक्षा कर्मियों की मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के समय पिछली सरकार की तुलना में आतंकवादियों की मृत्यु में 123 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि जिस धारा 370 को विपक्षी पार्टी की सरकारों ने लंबे समय तक बचा कर रखा, उस धारा 370 के हटने से कश्मीर में आतंकवादी इकोसिस्टम नष्ट हुआ है।

श्री अमित शाह ने कहा कि हमारी सरकार ने जीरो टेरर प्लान बनाया है, एरिया डोमिनेशन प्लान बनाया है, मल्टीलेवल डिप्लॉयमेंट किया है, सुरक्षा जेलें बनाई हैं, 98 प्रतिशत ट्रायल अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो रही हैं। हमने संचार के साधन बनाए हैं और 702 फोन विक्रेताओं को जेल में डाला है और 2666 सिम कार्ड ब्लॉक किए हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि अब जो आतंकवादी जहां मारा जाता है, उसे वहीं दफना दिया जाता है। किसी भी आतंकवादी का महिमामंडन करने के लिए जनाजा निकालने की इजाजत नरेन्द्र मोदी जी के शासन में नहीं है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के सगे लोगों और समर्थकों को चुन-चुन कर हमने जेलों में डाला और उनके पासपोर्ट रद्द किए, साथ ही उन्हें मिले सरकारी ठेके रद्द कर दिए। 75 से ज्यादा आतंकी समर्थकों को अदालत से आदेश प्राप्त करके सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। श्री शाह ने कहा कि बार कांउसिल आतंकवादियों के समर्थकों से भरी थी, उसे सस्पेंड कर नया लोकप्रिय चुनाव हमने कराया और कई संगठन बैन किए। विशेष UAPA अदालत का गठन कर मार्च 2022 से 2025 के बीच UAPA के लगभग 2260 मामले हमने दर्ज किए। 374 कुर्की भी की गई। पहले संगठित रूप से पत्थरबाजी होती थी, अब इनकी संख्या जीरों हो गई है। पहले संगठित हड़ताल का पाकिस्तान से ऐलान होता था, कश्मीर घाटी में बंद होता था, लेकिन अब पाकिस्तान और घाटी में किसी की भी हिम्मत नहीं है कि ऐसा कुछ करे। विपक्षी पार्टी के शासनकाल में साल में 132 दिन घाटी बंद रहती थी, लेकिन पिछले तीन साल से संगठित हड़ताल की संख्या जीरो हो गई है। पहले पत्थरबाजी में हर साल 100 से अधिक लोग मारे जाते थे, अब नागरिकों की मृत्यु और उनके घायल होने की संख्या जीरो हो गई है।

श्री अमित शाह ने कहा कि एक समय हुर्रियत के नेताओं को यहां वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता था, हुर्रियत के साथ चर्चा होती थी, हुर्रियत वाले आते थे तो रेड कारपेट बिछाते थे। लेकिन हमने हुर्रियत के सारे component बैन कर दिए हैं और उनके सभी नेता जेल की सलाखों के पीछे हैं। हम हुर्रियत से कोई बात नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि वह सदन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की नीति को दोहराना चाहते हैं कि हुर्रियत आतंकवादी संगठनों का outfit है और हम उनसे बात नहीं करेंगे, हम घाटी के युवाओं से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर में चुनाव के दौरान पहले डर का माहौल होता था, अब पंचायत चुनाव में 98.3 प्रतिशत मतदान हुआ। वर्ष 2019 के बाद TRF, People Anti Fascist Front, तहरीक उल मुजाहिद्दीन, जमात-उल-मुजाहिद्दीन, बांग्लादेश-हिंदुस्तान जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स, खालिस्तान टाइगर फोर्स, हिज्ब उल तहरीर सहित कई अन्य आतंकवादी संगठनों को हमारी सरकार ने बैन किया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारे जवान माइनस 43 डिग्री तापमान में पहाड़ पर और नदियों-नालों के पास रहकर देश की सुरक्षा करते हैं। कोई घुस गया तो वो बचेगा नहीं, हम उसे या तो गिरफ्तार करेंगे या तो एनकाउंटर में मारा जाएगा। उन्होंने कहा कि पोटा का विरोध करने वालों को नरेन्द्र मोदी जी की आतंकवादी विरोधी नीति पसंद नहीं आएगी, आतंकी का बचाव करके वोट बैंक बनाने वालों को यह नीति पसंद नहीं आएगी। यह नरेन्द्र मोदी सरकार है, टेररिजम के खिलाफ हमारी जीरो टोलरेंस की नीति है।

सोर्स पीआईबी

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