भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण और समावेशी विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी उपलब्धि दर्ज की गई है। दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के अंतर्गत देशभर की महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को औपचारिक वित्तीय संस्थानों द्वारा 11 लाख
करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरित किया गया है। यह न केवल एक आर्थिक उपलब्धि है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का भी प्रतीक है, जिसने लाखों महिलाओं को आत्मनिर्भर और उद्यमशील बनने की राह दिखाई है।DAY-NRLM: ग्रामीण सशक्तिकरण की रीढ़
दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) की शुरुआत 2011 में हुई थी, लेकिन इसे गति और विस्तार मोदी सरकार के कार्यकाल में मिला। इसका उद्देश्य गरीब ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक संस्थाओं के रूप में संगठित कर उनके आजीविका साधनों को सशक्त बनाना है। यह मिशन महिलाओं को न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी सशक्त करने का कार्य करता है।
कोलैटरल मुक्त ऋण
-महिला SHG को बिना किसी ज़मानत के ऋण उपलब्ध कराना।
ब्याज सब्सिडी
-चयनित क्षेत्रों में ब्याज मुक्त या ब्याज में भारी सब्सिडी प्रदान करना।
क्षमता निर्माण
-प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता और उद्यमिता को बढ़ावा देना।
11 लाख करोड़ का ऋण: आंकड़ों से हकीकत तक
2025 तक स्वयं सहायता समूहों को 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण प्रदान किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह ऋण उच्च पुनर्भुगतान दर (>98%) के साथ वापस आ रहा है, जो ग्रामीण महिलाओं की जिम्मेदारी और भरोसे को दर्शाता है।
बैंकिंग भागीदारी:
बैंकों की भागीदारी और सहयोग ने इस आंदोलन को सशक्त किया है। स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिक क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending) के अंतर्गत रखा गया है जिससे ऋण की उपलब्धता आसान हुई है।
बैंक सखियाँ की भूमिका:
ये प्रशिक्षित महिलाएं गांवों में बैंकिंग सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाने का कार्य कर रही हैं। वे लेन-देन, दस्तावेजीकरण, ऋण आवेदन और वित्तीय साक्षरता जैसे कार्यों में सहायता करती हैं।
समुदाय-आधारित वसूली तंत्र (CBRM):
यह तंत्र समय पर ऋण पुनर्भुगतान को सुनिश्चित करता है और बैंकों के साथ SHGs के विश्वास को मजबूत बनाता है।
लखपति दीदी योजना: हर घर में एक उद्यमी महिला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित "लखपति दीदी योजना" ने SHG महिलाओं के जीवन में नई ऊर्जा भरी है। इस योजना का लक्ष्य है:
-प्रत्येक SHG से कम से कम एक महिला को लखपति बनाना।
-महिलाओं को कृषि, डेयरी, बागवानी, मुर्गी पालन, सिलाई, कढ़ाई, डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमी के रूप में विकसित करना।
योजना के मुख्य बिंदु:
-1-5 लाख रुपये तक का बिना गारंटी ऋण।
-प्रशिक्षण और विपणन (मार्केटिंग) में सहयोग।
-प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) के अंतर्गत डिजिटल ज्ञान।
मोदी सरकार की अन्य प्रमुख महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास योजनाएं
1. प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (PMAY-G)
-ग्रामीण गरीबों को पक्का मकान प्रदान करना।
-लाभार्थियों में महिलाओं की नाम पर या संयुक्त नाम पर स्वामित्व को प्राथमिकता।
2. उज्ज्वला योजना
-गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त LPG कनेक्शन प्रदान कर रसोई को धुएं से मुक्त बनाना।
-इससे महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर हुआ और समय की बचत हुई, जिसे वे आजीविका में लगा रही हैं।
3. जल जीवन मिशन
-ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाकर महिलाओं को पानी भरने के श्रम से मुक्ति देना।
-इससे समय और ऊर्जा की बचत हुई जो महिलाओं ने शिक्षा, स्वास्थ्य और आयवर्धन में लगाई।
4. सुकन्या समृद्धि योजना
-बेटी के नाम पर छोटी बचत योजना, जिससे शिक्षा और विवाह के लिए वित्तीय सुरक्षा मिलती है।
5. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
-महिला उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक का ऋण, जिसमें शिशु, किशोर, और तरुण वर्ग शामिल हैं।
-70% से अधिक लाभार्थी महिलाएं।
6. स्टार्ट-अप इंडिया योजना और महिला उद्यमिता मंच (WEP)
-महिला नवाचार और स्टार्टअप को प्रोत्साहन।
-SHG से आगे बढ़ती महिलाएं अब स्टार्टअप संस्कृति का हिस्सा बन रही हैं।
एक दृष्टिकोण: सामाजिक और आर्थिक बदलाव
आर्थिक स्वतंत्रता:
SHG के माध्यम से महिलाएं खुद का कारोबार चला रही हैं, जो उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बना रहा है।
सामाजिक सशक्तिकरण:
पारिवारिक और सामाजिक निर्णयों में उनकी भागीदारी बढ़ी है। अब वे केवल गृहिणी नहीं, बल्कि नीति निर्धारक भी हैं।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा:
SHG से जुड़ी महिलाएं अपनी बेटियों को पढ़ा रही हैं, डिजिटल बना रही हैं और नए अवसरों के लिए तैयार कर रही हैं।
सरकारी-गैरसरकारी सहभागिता: एक संयुक्त प्रयास
इस परिवर्तन में केवल सरकार की नहीं, बल्कि बैंकों, एनजीओ, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र की भागीदारी भी महत्वपूर्ण रही है।
-डिजिटल इंडिया के तहत SHG महिलाओं को डिजिटल उपकरणों से लैस किया जा रहा है।
-FPOs (Farmer Producer Organizations) के जरिए SHGs को कृषि मूल्य श्रृंखला से जोड़ा जा रहा है।
-ई-कॉमर्स के माध्यम से SHG उत्पादों की पहुंच राष्ट्रीय बाजारों तक बढ़ी है (जैसे GeM, Flipkart Samarth, Amazon Saheli आदि)।
सशक्त महिला, सशक्त भारत की नींव
11 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरण केवल एक आर्थिक आंकड़ा नहीं है, यह उस परिवर्तन का प्रतीक है जो भारत के गांवों में जमीनी स्तर पर घट रहा है। मोदी सरकार की योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं को केवल आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि नवाचार, नेतृत्व और उद्यमिता की राह पर अग्रसर किया है।
SHG आंदोलन, लखपति दीदी जैसी पहलें, और वित्तीय समावेशन की रणनीतियाँ, भारत के विकास मॉडल को "बॉटम अप" दृष्टिकोण से सशक्त बना रही हैं – जहां विकास का केंद्र बिंदु गांव, महिला और आत्मनिर्भरता है। "जब ग्रामीण महिला आगे बढ़ती है, तो पूरा गांव, पूरा देश आगे बढ़ता है।"
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