मानव-वन्यजीव संघर्ष: समस्याएं, सरकारी प्रबंधन और समाधान के लिए उठाए गए कदम

भारत जैसे विशाल वन क्षेत्र और जैव विविधता वाले देश में मानव-वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर चुनौती बन चुका है। देश के विभिन्न भागों से हाथी, तेंदुआ, भालू, नीलगाय, सांप, मगरमच्छ इत्यादि वन्य प्राणियों द्वारा मानव संपत्ति, फसलों, पशुधन और यहां तक कि जीवन को भी नुकसान पहुंचाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने 21 जुलाई 2025 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में

इस विषय पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

मानव-वन्यजीव संघर्ष: प्रमुख चुनौतियां
मानव और वन्यजीवों के इस संघर्ष का मुख्य कारण प्राकृति संसाधनों में कमी, वनों की कटाई और शहरी विस्तार है। बढ़ती आबादी के चलते जंगलों का क्षेत्रफल घटता जा रहा है, जिससे प्राणी अपने मूल आवास से निकलकर मानव बस्तियों में प्रवेश करने लगे हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख प्रबंधन उपाय
1. परामर्शी व मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOPs):
फरवरी 2021 में मंत्रालय द्वारा जारी परामर्शी के तहत समन्वित अंतर्विभागीय कार्रवाई, संघर्ष हॉटस्पॉट की पहचान, त्वरित प्रतिक्रिया टीमों का गठन, और 24 घंटे के भीतर मृतकों को अनुग्रह राहत के निर्देश दिए गए हैं।

2. फसल बीमा और वैकल्पिक कृषि प्रोत्साहन:
3 जून 2022 को राज्यों/UTs को दिशा-निर्देश जारी हुए, जिनमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत जंगली पशुओं द्वारा नुकसान की भरपाई और अरुचिकर फसलों—जैसे मिर्च, लेमन ग्रास, खस—को प्रमोट करने को कहा गया है।

3. प्रजाति-विशिष्ट प्रबंधन:

21 मार्च 2023 को हाथी, गौर, तेंदुआ, भालू, रीसेस बंदर, जंगली सुअर इत्यादि से निपटने हेतु अलग-अलग गाइडलाइन्स जारी की गईं।

4. भौतिक अवरोध व मुआवजा:

केंद्र द्वारा कांटेदार तार, सौर ऊर्जा चालित बाड़, जैव-बाड़, दीवार आदि के लिए फंडिंग दी जाती है। फसल, पशुधन, जीवन को हुए नुकसान पर राज्य अपने-अपने मुआवजा नियमों के अनुसार अनुग्रह राशि देते हैं।

5. कानूनी प्रावधान:
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षण क्षेत्रों का मजबूत नेटवर्क, शिकार के लिए विशेष परमिट (जब जानवर खतरनाक हो) और प्रबंधन योजनाओं के लिए गाइडलाइन्स जारी किए गए हैं।

6. तकनीकी और प्रशिक्षण सहयोग:
भारतीय वन्यजीव संस्थान आदि के माध्यम से राज्य वन अधिकारियों को क्षमता निर्माण, पूर्व चेतावनी प्रणालियों, और आधुनिक तकनीकों के प्रयोग का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

7. जन जागरूकता अभियान:

संघर्ष प्रभावित इलाकों में जनता को संवेदनशील बनाने, मार्गदर्शन और सलाह देने के लिए मीडिया और विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से जागरूकता फैलाने के नियमित अभियान चल रहे हैं।

मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौतियाँ दिन-प्रतिदिन जटिल होती जा रही हैं। इसके प्रभाव से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नकारात्मक घटनाओं की रोकथाम, नुकसान की भरपाई तथा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं। समय रहते वैज्ञानिक प्रबंधन, जागरूकता और कानूनों का कड़ाई से पालन ही इस संघर्ष को कम करने में कारगर हो सकता है।

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