भारत की संस्कृति और विरासत को वैश्विक पहचान देने के लिए केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। संस्कृति मंत्रालय ने 2021 से अब तक 41 देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (सीईपी) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य भारतीय कला, संगीत, नृत्य, रंगमंच, संग्रहालय, विज्ञान संग्रहालय, पुस्तकालय, अभिलेखागार, ऐतिहासिक स्मारक और साहित्य की विविधता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करना है। विदेशों में "भारत महोत्सव" के आयोजन- जैसे मार्च 2023 में कुवैत व जुलाई 2023 में फ्रांस- इन प्रयासों का हिस्सा हैं, जहां भारत की सांस्कृतिक छटा और जीवंतता दिखाई गई।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) संरक्षित स्मारकों की देखरेख और संरक्षण के लिए समय-समय पर निरीक्षण से लेकर आधुनिक डिजिटल अभिलेखों और मैपिंग के जरिए दस्तावेजीकरण में निरंतर सुधार कर रहा है- जैसे दिल्ली स्थित लाल किले में 'आजादी के दीवाने' संग्रहालय, जो आजादी के गुमनाम नायकों को समर्पित है।
"एक भारत श्रेष्ठ भारत" के अंतर्गत 'युवा संगम' और 'काशी तमिल संगम' द्वारा दो प्रदेशों व संस्कृतियों के युवाओं के बीच सांस्कृतिक-शैक्षणिक संवाद स्थापित किया जा रहा है। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (ZCC) ने अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 तक सभी सात सांस्कृतिक क्षेत्रों में 'विलुप्त लोक एवं जनजातीय कला उत्थान महोत्सव' आयोजित किए, जिनमें पारंपरिक कलाओं की पुनर्जीवन कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण दिए गए।
डिजिटल अभिलेखागार और 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' वेबसाइट के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की कहानियाँ, ऐतिहासिक घटनाक्रम और सांस्कृतिक खजानों को एक क्लिक दूर उपलब्ध कराया गया है, जिससे शोधकर्ता, छात्र और आम नागरिक सहजता से अपनी विरासत से जुड़ सकें। इसमें जिलावार संग्रह, गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि, जन भागीदारी, राज्यगीत, पॉडकास्ट और प्रदर्शनी जैसे कई डिजिटल नवाचार शामिल हैं।
श्री शेखावत ने बताया कि ये सभी प्रयास—सांस्कृतिक करार, महोत्सव, संग्रहालय, डिजिटल डॉक्युमेंटेशन, और युवाओं के संवाद—मिलकर भारत की बहुरंगी सांस्कृतिक विरासत को न केवल देश में, बल्कि विश्वपटल पर नए गौरव और व्यापक पहचान के साथ स्थापित कर रहे हैं।
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