केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 30 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान के साथ विपक्ष को भी करारा जवाब दिया। अमित शाह ने जिस तरह से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से लेकर ‘ऑपरेशन महादेव’ तक विस्तार से जानकारी दी, वह बताता है कि अब भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पूरी तरह बदल चुकी है।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। निर्दोष श्रद्धालुओं को निशाना बनाया गया। लेकिन इस बार केंद्र सरकार और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया पहले से बिलकुल अलग थी। गृह मंत्री खुद उसी दिन शाम को श्रीनगर पहुँच गए और अगले ही दिन शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसी के साथ ‘ऑपरेशन महादेव’ की रणनीति पर काम शुरू हो गया।
लगातार चलाए गए सर्च ऑपरेशन में भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार TRF- लश्कर के तीन आतंकियों – सुलेमान, अफगान और जिब्रान – को ढूंढ निकाला। 28 जुलाई को हुए इस ऑपरेशन में इन्हें मार गिराया गया। बाद में इनकी बरामद बंदूकों का फॉरेंसिक मिलान किया गया, जिससे यह 100% प्रमाणित हुआ कि इन्हीं हथियारों का उपयोग पहलगाम हमले में हुआ था।
गृह मंत्री ने बताया कि 7 मई की रात 1:04 बजे भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर 9 आतंकी अड्डों को तबाह कर दिया, जिसमें करीब 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यह हमला इतना सटीक और जबरदस्त था कि पाकिस्तान ने खुद भारत से गुहार लगाई कि अब इसे रोका जाए। गृह मंत्री के अनुसार पाकिस्तान के DGMO ने कॉल कर कहा, “बहुत हो गया, अब कृपया इसे रोक दीजिए।”
गृह मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि इस हमले से ठीक पहले 23 अप्रैल को CCS (कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी) की आपात बैठक हुई थी, जिसमें कई बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए गए। इनमें सिंधु जल संधि को रोकना, अटारी ICP को बंद करना, पाकिस्तान के राजनयिकों की संख्या घटाकर 30 करना, और सार्क वीज़ा को सस्पेंड करना शामिल था। इससे साफ है कि इस बार जवाब सिर्फ सैन्य नहीं, रणनीतिक और कूटनीतिक भी था।
विपक्ष की ओर से ‘ऑपरेशन महादेव’ के नाम पर सवाल उठाए गए, तो अमित शाह ने दो टूक कहा – “हर हर महादेव कोई धर्म विशेष का नारा नहीं, बल्कि वह युद्धघोष है जो शिवाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ दिया था। यह भारत की संप्रभुता की रक्षा का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि पहले कश्मीरी युवा आतंकी संगठनों में भर्ती होते थे, अब कोई स्थानीय युवक इन संगठनों में नहीं है। पहले पत्थरबाज़ी, बंद और अलगाववादी नारे आम थे, लेकिन अब कश्मीर में पंचायत चुनाव में 98% से अधिक मतदान हो रहा है – ये लोकतंत्र की जीत है।
अमित शाह ने बताया कि अब आतंकवादियों के फाइनेंसिंग नेटवर्क पर भी करारा वार किया गया है। 347 संपत्तियाँ ज़ब्त की गईं, 57 लोगों को UAPA के तहत आतंकवादी घोषित किया गया, PFI और जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगा, NIA को विदेशों में भी कार्रवाई की अनुमति दी गई, और NATGRID, MAC, NAFIS जैसे डिजिटल निगरानी सिस्टम से आतंकियों पर पैनी नजर रखी जा रही है।
उन्होंने कहा कि उरी हमले के बाद हमने सर्जिकल स्ट्राइक की, पुलवामा के जवाब में एयरस्ट्राइक की, और अब पहलगाम के बाद ‘घर में घुसकर’ हमला किया – यह हमारी नीति में आए बदलाव को दिखाता है।
गृह मंत्री ने विपक्ष पर भी जमकर हमला बोला और कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति ने ही आतंकवाद को पनपने दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दी, जमात और हुर्रियत जैसे संगठनों को बढ़ावा दिया और हर बार देश की सुरक्षा के मुद्दे पर समझौते किए।
भाषण के अंत में अमित शाह ने देश के विकास की तस्वीर भी सामने रखी। उन्होंने बताया कि भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, GDP ₹4.19 ट्रिलियन पहुंच गई है, एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकॉनमी बन चुकी है, 118 यूनिकॉर्न हैं, 159 हवाई अड्डे, 136 वंदे भारत ट्रेनें और रक्षा निर्यात ₹21,000 करोड़ तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 60 करोड़ लोगों को घर, बिजली, पानी, गैस, शौचालय, मुफ्त इलाज और 5 किलो अनाज जैसी बुनियादी सुविधाएं दी हैं। ये केवल योजनाएं नहीं, भारत के आत्मविश्वास का पुनर्जन्म है।
अंत में उन्होंने कहा – “जब आज़ादी के 100 साल पूरे होंगे, तो इतिहास में मोदी युग को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की बदली हुई मानसिकता और मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतीक है। अब भारत डरता नहीं, भारत करता है – वो भी दुश्मन की धरती पर।”
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