राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी): ग्रामीण भारत में दुग्ध क्रांति की ओर

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां पशुपालन और दुग्ध उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। इसी क्षेत्र को संगठित और सशक्त बनाने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 से राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) को लागू किया गया है। लोकसभा में केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने अपने लिखित उत्तर पर में बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दूध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार और संगठित खरीद, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन को बढ़ावा देना है।


अब तक की प्रमुख उपलब्धियाँ:
डेयरी सहकारी समितियों का गठन और विस्तार:
-31,908 डेयरी सहकारी समितियों (DCS) का गठन/पुनर्गठन किया गया है।
-इससे 17.63 लाख नए दुग्ध उत्पादक जुड़े हैं।
-दूध खरीद में 120.68 लाख किलोग्राम प्रतिदिन की वृद्धि हुई है।

ग्राम स्तरीय परीक्षण प्रयोगशालाएं और शीतलन सुविधा:
-61,677 ग्राम स्तरीय दुग्ध परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।
-5,995 बल्क मिल्क कूलर (BMC) लगाए गए हैं, जिनकी कुल 149.35 लाख लीटर की शीतलन क्षमता है।

दूध में मिलावट की जांच:
-279 डेयरी संयंत्र प्रयोगशालाओं को FTIR तकनीक आधारित दूध एनालाइजर सिस्टम के साथ उन्नत किया गया है।

वित्तीय परिव्यय और 2025-26 के लक्ष्य:
संशोधित योजना के तहत, वर्ष 2025-26 में 21,902 नई डेयरी सहकारी समितियों के गठन का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए कुल 407.37 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय स्वीकृत किया गया है:
-केंद्र सरकार का हिस्सा: 211.90 करोड़ रुपये
-राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों का हिस्सा: 195.47 करोड़ रुपये

अब तक 1,804 नई समितियाँ बन चुकी हैं, जिससे 37,793 नए दुग्ध उत्पादकों को रोजगार मिला है।

मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ (MVUs):

देशभर में वर्तमान में 4,019 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ संचालित हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों को घर पर ही पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करती हैं।
-अब तक 96.86 लाख पशुपालक और 2.01 करोड़ से अधिक पशु इन सेवाओं से लाभान्वित हुए हैं।
-अकेले मध्य प्रदेश के भिंड जिले में 15,307 पशुपालकों और 19,472 पशुओं को लाभ मिला है।

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम, न केवल दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने में सहायक है, बल्कि दुग्ध उत्पादन श्रृंखला को संगठित और गुणवत्ता युक्त भी बना रहा है। मोबाइल पशु चिकित्सा सेवाएं और आधुनिक प्रयोगशालाएं, ग्रामीण पशुपालन को विज्ञान आधारित और सुविधाजनक बना रही हैं। यह कार्यक्रम भारत में दुग्ध क्रांति के दूसरे चरण की नींव रखने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

सोर्स पीआईबी 

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