भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम आज अकेले वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं बल्कि देश की तकनीकी शक्ति, व्यापक सहयोग और युवा प्रतिभा की मिसाल बन चुका है। जहाँ 1963 में भारत ने एक छोटे रॉकेट के साथ अंतरिक्ष के सफर की शुरुआत की थी, वहीं अब हमारे बहादुर अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लेकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक मानवता का नाम रोशन कर रहे हैं।
इसरो का सफर – कदम दर कदम सफलता:
1975 में भारत ने पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च किया। उसके बाद से यह एक ऐसी सफलता यात्रा रही जिसमें भारत ने 400 से अधिक विदेशी उपग्रहों को भी कक्षा में पहुंचाया। 2014 में भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी और वैश्विक सहयोग के लिए खोल दिया, जिसने अब तक की सबसे तेजी से विकास की राह शुरू की। इसका नतीजा यह है कि 2025 तक देश में 328 से ज्यादा अंतरिक्ष स्टार्टअप उभर चुके हैं, जो विज्ञान और तकनीक को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा:
25 जून 2025 को एसपीएस-4 (एक्सिओम-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने न केवल भारत का नाम चमकाया, बल्कि 18 दिनों तक वहां रहकर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग भी किए। इनमें अंतरिक्ष में बीजों की अंकुरण प्रक्रिया, मानव मांसपेशियों पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव तथा सूक्ष्म जीवों का अध्ययन शामिल है। उनकी सुरक्षित वापसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यह मिशन देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
गगनयान: भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की तैयारी:
गगनयान कार्यक्रम, जिसका बजट लगभग 20,193 करोड़ रुपए है, भारत की पहली आत्मनिर्भर मानव अंतरिक्ष उड़ान का मकसद रखता है। चार प्रशिक्षित पायलट, जिनमें ग्रुप कैप्टन शुक्ला भी शामिल हैं, 2027 की पहली तिमाही में पहली उड़ान के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इस मिशन के लिए मानवरहित परीक्षण उड़ानें भी सफलतापूर्वक हो चुकी हैं। यह भारत को एलईओ (निचली पृथ्वी कक्षा) में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
चंद्रयान और मंगलयान मिशन की उपलब्धियाँ:
-चंद्रयान-1 ने 2008 में चंद्रमा पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि कर भारत को अंतरिक्ष के मानचित्र पर लाकर खड़ा किया।
-चंद्रयान-3 ने 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया।
-मंगलयान ने अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर भारत को एशिया का सबसे सफल अंतरग्रहीय मिशन बनाया। यह मिशन अब भी अपने निर्धारित 6 महीने के बजट से 7 साल तक लगातार काम कर रहा है।
नाविक: भारत का स्वदेशी वैश्विक नेविगेशन सिस्टम:
नाविक उपग्रह प्रणाली देश और उसके आसपास 1500 किलोमीटर की दूरी तक उच्च सटीक स्थान निर्धारण करती है। यह प्रणाली कृषि से लेकर आपदा प्रबंधन तक हर क्षेत्र में सहायता प्रदान करती है।
अंतरिक्ष मलबे पर नियंत्रण:
अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे की समस्या से निपटने के लिए इसरो ने अप्रैल 2024 में ‘मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन’ की शुरुआत की है, जिसका लक्ष्य 2030 तक सभी मिशनों को मलबा-मुक्त बनाना है। इसके तहत उपग्रहों और यानों को नियंत्रित तरीके से पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकाला जाएगा ताकि कक्षा में टक्कर और केसलर सिंड्रोम की संभावना कम हो।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नवाचार:
भारत ने नासा के साथ NISAR मिशन, फ्रांस के CNES के साथ ‘तृष्णा’ मिशन, जापान के JAXA के साथ ‘लूपेक्स’ मिशन और यूरोप के ESA के साथ अनेक मिशनों में सहयोग किया है। इस सहयोग से भारत की वैज्ञानिक क्षमता और प्रभाव दोनों बढ़े हैं।
नीति, निवेश और निजी क्षेत्र का रोल:
-भारत की अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत 100% विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है।
-इसरो की वाणिज्यिक शाखाएँ एंट्रिक्स कॉरपोरेशन और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड भारतीय उद्योगों को अंतरिक्ष गतिविधियों में मजबूत करती हैं।
-‘इन-स्पेस’ नामक एक नोडल एजेंसी निजी क्षेत्र की भागीदारी और पूंजी लाने में मदद करती है।
-बजट में पिछले एक दशक में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है, जो सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
आने वाले मिशन:
2025 में आगामी प्रमुख मिशनों में GPS उपग्रह प्रक्षेपण, TV-D2 मिशन (गगनयान क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग), GSLV-F16/NISAR मिशन (पृथ्वी पर्यावरण निगरानी), और ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह लॉन्च शामिल हैं। इसके अलावा चंद्रयान-4, शुक्र ग्रह मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना भी जारी है।
भारत का अंतरिक्ष अभियान अब सपनों से कहीं ऊपर, असली और ठोस उपलब्धियों के स्तर पर पहुंच चुका है। नई तकनीकों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ, भारत आने वाले वर्षों में विश्व अंतरिक्ष शक्ति के तौर पर अपनी जगह और मजबूती से स्थापित करेगा। यह कहानी सिर्फ विज्ञान की नहीं, बल्कि एक अनूठे राष्ट्र की है, जो चुनौतियों को अवसर में बदल कर दुनिया के सितारों तक पहुंचने का साहस रखता है।
सोर्स पीआईबी
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