केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 30 जुलाई को लोकसभा में जानकारी दी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जुलाई 2025 को अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) योजना को मंजूरी दी है। इसका मकसद है निजी क्षेत्र को उच्च तकनीकी क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना। इस योजना के तहत अगले 6 वर्षों में कुल 1 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
यह योजना उन तकनीकों और क्षेत्रों पर केंद्रित है जो देश की ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से लड़ाई, क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसी अगली पीढ़ी की तकनीकों के लिए रणनीतिक महत्व रखती हैं। सरकार ने इसे रणनीतिक और आर्थिक सुरक्षा के लिहाज से अहम माना है।
आरडीआई योजना के अंतर्गत दीर्घकालिक कम या बिना ब्याज वाले ऋण, इक्विटी वित्तपोषण और डीप-टेक फंड में योगदान शामिल है, लेकिन अल्पकालिक ऋण या अनुदान इसमें नहीं है। इस योजना को वैज्ञानिक और तकनीकी विभाग नोडल एजेंसी के रूप में संभालेगा, जबकि अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) इसकी देखरेख करेगा।
इस योजना की एक खास बात यह है कि यह निजी क्षेत्र को बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान में निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगी, ताकि भारत आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से मजबूत बन सके। मंत्रालयों के बीच समन्वय के साथ ही उद्योग, स्टार्टअप्स और अनुसंधान समुदाय के साथ भी व्यापक परामर्श किया गया है।
सरकार का मकसद है कि भारत का निजी क्षेत्र अनुसंधान और विकास में सरकारी निवेश से आगे बढ़े, जिससे देश वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टॉप पर आ सके। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये आंवटित किए गए हैं जो धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे।
यह योजना भारत के तकनीकी और नवाचार इको-सिस्टम को और मजबूत करने, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और उद्योग को रिसर्च एवं इनोवेशन में सक्रिय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सोर्स पीआईबी
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