भारत की कृषि में उर्वरकों की भूमिका काफी अहम है। सही मात्रा में यूरिया, डीएपी और एमओपी का उपयोग फसल की पैदावार और मिट्टी की उर्वरता दोनों को मजबूत करता है। नरेन्द्र मोदी सरकार की "अमृतकाल" की योजनाएं किसानों को लागत कम करने, आधुनिक तकनीक अपनाने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में समर्थ बना रही हैं।
1) उत्पादन क्षमता में भारी वृद्धि
-2014‑15 से 2023‑24 तक, घरेलू यूरिया उत्पादन 225 LMT से बढ़कर 314.09 LMT तक पहुंचा, यानी लगभग 89 LMT की वृद्धि दिखी
-6 नए यूरिया संयंत्र चालू किए गए, प्रत्येक की क्षमता 12.7 LMT प्रति वर्ष, कुल मिलाकर 76.2 LMT जोड़ा गया।
-इस वजह से भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा यूरिया उत्पादक बन गया।
2) सब्सिडी से किसान की जेब पर सहारा
-वित्त वर्ष 2024‑25 के लिए केंद्रीय बजट में उर्वरक विभाग को ₹1.91‑अर्थात् 1,91,836 करोड़ का बजट मिला, जिसमें P&K उर्वरकों के लिए ₹54,310 करोड़ पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) के तहत है।
-Kharif 2025 (1 अप्रैल से 30 सितंबर) के लिए NBS के तहत ₹37,216.15 करोड़ तक की सब्सिडी स्वीकृत की गई है, जो पिछले सीजन की तुलना में लगभग ₹13,000 करोड़ अधिक है।
-डीएपी (DAP) पर ₹3,500 प्रति टन अतिरिक्त विशेष सब्सिडी भी लागू है ताकि किसानों को स्थिर और किफायती कीमत पर उर्वरक मिल सके।
-यूरिया 45 किलो थैली की MRP अभी ₹242 है, जिसे सरकार ने मार्च 2018 से अपरिवर्तित रखा हुआ है; अंतर सरकार द्वारा सब्सिडी के ज़रिए पूरा किया जाता है।
3) तकनीकी उन्नयन: नैनो और नीम कोटेड यूरिया
-नैनो यूरिया: छोटे बोतल पैक में उपलब्ध, जिससे पोषक तत्व मिट्टी में धीरे-धीरे रिलीज़ होते हैं। इससे कृषि लागत और पर्यावरण दोनों को लाभ मिलता है।
-नीम कोटेड यूरिया: नीम तेल के लेप से नाइट्रोजन की खपत नियंत्रित होती है; इससे वाष्पीकरण और निक्षालन कम होता है, जिससे पौधे को ज्यादा समय तक पोषण मिलता है।
4) डिजिटल निगरानी और ड्रोन छिड़काव
-IFMS (Integrated Fertilizer Management System) के जरिए सप्लाई चैन पर वास्तविक समय का नियंत्रण, जिससे स्टॉक डिस्पैच और उपलब्धता सुधारती है।
-MFMS ऐप: किसान मोबाइल से नज़दीकी विक्रेताओं का स्टॉक चेक कर सकते हैं; DBT भुगतान और MIS रिपोर्ट भी देख सकते हैं।
-ड्रोन‑आधारित छिड़काव (नमो ड्रोन दीदी योजना): लगभग 15,000 महिलाओं को ड्रोन दिए जा रहे हैं ताकि नैनो और अन्य उर्वरक छिड़काव सटीक और प्रभावी हो सके। इससे किसानों की परिचालन लागत में कमी एवं उत्पादन में सुधार होता है।
5) अंतरराष्ट्रीय साझेदारी से सप्लाई सुनिश्चित
-सऊदी अरब के साथ प्रतिवर्ष 3.1 मिलियन टन DAP की आपूर्ति का पांच वर्ष का समझौता; आयात पहले ~16 लाख से बढ़कर ~19 लाख टन हो गया है।
-नेपाल, भूटान, श्रीलंका के साथ दीर्घकालिक सौदे, जैसे कि भूटान को प्रति वर्ष 5,000 टन उर्वरक और श्रीलंका में SSP संयंत्र का प्रस्ताव—इससे सप्लाई स्थिर और भरोसेमंद बनी रहती है।
6) संतुलित एवं टिकाऊ खेती की ओर कदम
-PM‑PRANAM योजना: रासायनिक उर्वरकों के विरोध में जैव और जैव उर्वरकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
-मृदा स्वास्थ्य कार्ड: हर दो साल में मिट्टी की 12 पोषक सूचकों की जांच, जिससे किसान अपनी ज़मीन को संतुलित पोषण दे सकें।
-जैव-उर्वरक जैसे राइजोबियम, एजोटोबैक्टर आदि को ICAR संस्थानों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जा रहा है।
"अमृतकाल" की योजना क्यों है ऐतिहासिक?
पहल किसान को फायदा
घरेलू उत्पादन बढ़ना- आयात निर्भरता कम, आपूर्ति सुरक्षित
भारी सब्सिडी, स्थिर मूल्य- उर्वरक सस्ते, प्लानिंग आसान
नैनो व नीम आधारित उर्वरक- कम उपयोग, अधिक यील्ड, मिट्टी सुरक्षित
IFMS / MFMS ऐप- पारदर्शी सप्लाई, समय पर उपलब्धता
ड्रोन‑छिड़काव- आधुनिक खेती, महिला सशक्तिकरण
अंतरराष्ट्रीय समझौते- समावेशी और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला
अमृतकाल की यह उर्वरक नीति सिर्फ संख्या बढ़ाने पर आधारित नहीं है। यह किसानों को तकनीक, वित्तीय सहायता, निरंतर आपूर्ति और पारदर्शिता प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है। देशभर में यह पहलें यह सुनिश्चित कर रही हैं कि भारतीय किसान अधिक उत्पादन, बेहतर आमदनी और सतत कृषि की राह पर आगे बढ़े।
क्या आपने नैनो यूरिया ट्रायल देखा है? MFMS ऐप इस्तेमाल किया है? ड्रोन‑छिड़काव आपके इलाके में शुरू हुई है?
नीचे कमेंट में बताइए — इससे दूसरे किसानों को भी मार्गदर्शन मिलेगा!
सोर्स पीआईबी
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