स्मार्ट सिटी मिशन: 10 साल में 94 प्रतिशत परियोजनाएं हुईं पूरी

भारत में स्मार्ट सिटी मिशन ने अपने 10 साल पूरे कर लिए हैं, और अगर इसे एक लाइन में समझना हो तो कह सकते हैं – देश के 100 शहर अब स्मार्ट हो गए हैं, और जिंदगी पहले से काफी आसान और सुरक्षित हुई है। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के हाथों शुरू हुए इस मिशन के तहत 8,067 परियोजनाओं में से 94% (लगभग 7,555 प्रोजेक्ट्स) पूरे भी हो चुके हैं। इस पर कुल 1.64 लाख करोड़ रुपये (यानी 1,64,000 करोड़!) का निवेश हो चुका है। 

बात यहीं नहीं रुकती। ये स्मार्ट तो सिर्फ नाम का नहीं है, हकीकत में शहरों में बेहतर सड़कें, स्मार्ट क्लासरूम, हाईटेक हेल्थ सेंटर्स, फास्ट ट्रैफिक सिस्टम, एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग – सब कुछ अपडेट हुआ है। सभी 100 शहरों में 'इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर' हैं जहां एक स्क्रीन पर ट्रैफिक, सिक्योरिटी, पानी, सफाई – सब पर नजर रहती है। सड़कों पर 84,000 से ज्यादा CCTV कैमरे, 1,740 किमी से ज्यादा स्मार्ट सड़कें, 713 किमी साइकिल ट्रैक, हजारों स्मार्ट बस स्टॉप, और सैकड़ों हेल्थ सेंटर अब हकीकत हैं।

मिशन ने सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नहीं, स्मार्ट सिटी वाले राज्यों में क्राइम 27% तक कम हो गया है और वायु गुणवत्ता में 23% सुधार दर्ज हुआ है। नई पीढ़ी के स्कूलों में 9,433 स्मार्ट क्लासरूम बन चुके हैं और डिजिटल लाइब्रेरी ने पढ़ाई को भी हाईटेक बना दिया है।

मिशन में इनोवेशन की भी कोई कमी नहीं रही – साइकिल4चेंज, स्ट्रीट्स4पीपुल जैसी यात्राएं चलाई गईं, जिसके चलते खुले और सुरक्षित पब्लिक स्पेस बढ़े और पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूजर फ्रेंडली बना।

इसके अलावा,
-विशाखापत्तनम में सोलर लाइटिंग, उदयपुर में आधुनिक वेस्ट मैनेजमेंट, कोयंबटूर में सभी स्ट्रीट लाइट LED, और सोलापुर में इलेक्ट्रॉनिक टॉयलेट जैसी अनगिनत कहानियां हैं, जो इस मिशन की सफलता का सबूत हैं।
-स्मार्ट शहरों के विकास में खास तौर पर उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र आगे रहे, जिन्होंने कुल बजट का बड़ा हिस्सा अपने शहरों में लगाया।

कुल मिलाकर, स्मार्ट सिटी मिशन ने अब तक का सफर बड़ी तेजी और बदलाव के साथ पूरा किया है। सरकार की पॉलीसी तो है ही, लेकिन इससे भी अहम है - शहरों में लोगों की नई सोच और टेक्नोलॉजी अपनाने की खुली मानसिकता, जिसने भारत के शहरी जीवन को सचमुच स्मार्ट बना दिया है।

सोर्स- पीआईबी



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