भारत की सुरक्षा नीति में ऐतिहासिक बदलाव: अब निर्भरता नहीं, आत्मनिर्भरता और निर्णायकता है पहचान

जब हम 2014 से 2025 के बीच के भारत को देखते हैं, तो एक चीज़ साफ़ दिखती है — देश की सुरक्षा नीति, सोच और क्षमता में एक बड़ा और निर्णायक बदलाव आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने अब यह ठान लिया है कि सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा, और देश हर चुनौती का आत्मविश्वास से सामना करेगा।


रक्षा क्षेत्र: आयातक से निर्यातक की यात्रा
भारत जो कभी दुनिया में सबसे बड़ा रक्षा आयातक माना जाता था, आज एक भरोसेमंद रक्षा निर्यातक बन चुका है।
-2024-25 में भारत ने रिकॉर्ड ₹1.50 लाख करोड़ का रक्षा उत्पादन किया।
-100+ देशों को अब भारत अपने बनाए हथियार, ड्रोन, पोत और अन्य रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है।
-रक्षा निर्यात 34 गुना बढ़कर ₹23,622 करोड़ तक पहुंच गया है।

यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है — यह उस आत्मनिर्भर भारत की झलक है, जो खुद पर भरोसा करता है और अब दूसरों को सुरक्षा देने की क्षमता रखता है।

रक्षा सुधार: नीति में स्पष्टता, उद्योग को अवसर
DAP 2020 और भारतीय-आईडीडीएम
नई रक्षा अधिग्रहण नीति ने ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया और अब स्वदेशी डिज़ाइन, विकास और निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।

मेक-I, मेक-II और मेक-III
सरकार ने MSMEs और स्टार्टअप्स को रक्षा उत्पादन में भागीदार बनाया है — और यही वह बुनियाद है जिससे भारत का रक्षा इकोसिस्टम मज़बूत हो रहा है।

FDI में खुलापन
अब भारत में 74% तक FDI ऑटोमैटिक रूट से संभव है, जिससे टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और विदेशी साझेदारी आसान हो गई है।

आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट नीति: ऑपरेशन सिंदूर
भारत अब आतंकी हमलों का सिर्फ़ जवाब नहीं देता — वह पलटवार भी करता है, और वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ।

ऑपरेशन सिंदूर (2025)
-पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी कैंप तबाह
-100+ आतंकवादी मारे गए
-पाकिस्तान की जवाबी कोशिशें नाकाम
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा — अब भारत किसी भी आतंकवादी हमले का जवाब उसी भाषा में देगा।

पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार की 5 लाल रेखाएं
-कड़ा जवाब: हर हमले का जवाब होगा
-परमाणु धमकी बेअसर: भारत झुकेगा नहीं
-आतंकी और उनके मददगार एक समान
-बातचीत केवल आतंकवाद पर
-संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं

सुदर्शन चक्र मिशन: 2035 तक भविष्य की सुरक्षा
PM मोदी ने 2025 में "सुदर्शन चक्र मिशन" लॉन्च किया — यह भारत को 2035 तक एक पूर्ण रक्षा तकनीकी महाशक्ति बनाने की योजना है।
मिशन के 3 लक्ष्य:
-रक्षा अनुसंधान और उत्पादन पूरी तरह भारत में
-भविष्य की युद्ध तकनीकों की तैयारी
-स्मार्ट और सटीक हथियार प्रणालियां बनाना

आंतरिक सुरक्षा: नक्सलवाद में भारी गिरावट
-2010 में जहां 1,900+ उग्रवादी घटनाएं होती थीं, अब 2024 में ये घटकर 374 रह गईं।
-8,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया
-20 से कम जिले अब नक्सल प्रभाव में हैं

यह संभव हुआ है सुरक्षा + विकास के संयुक्त मॉडल से — सरकार ने उन क्षेत्रों में सड़कें, स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएं और संचार तंत्र को मज़बूत किया है, जिन्हें पहले नज़रअंदाज़ किया गया था।

आत्मनिर्भर भारत: रक्षा से आगे, अर्थव्यवस्था तक
भारत की आत्मनिर्भरता अब सिर्फ रक्षा तक सीमित नहीं है:

वित्तीय समावेशन
-56 करोड़ से अधिक जनधन खाते
-₹2.64 लाख करोड़ की कुल धनराशि
-खाताधारकों में 55% महिलाएं

कृषि और खाद्य सुरक्षा
-81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन
-PM-किसान योजना से 3.90 लाख करोड़ रुपये सीधे खातों में

टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता
-भारत का अपना सेमीकंडक्टर मिशन
-3nm डिज़ाइन सेंटर की शुरुआत
-पहली स्वदेशी चिप 2025 में बनकर तैयार

अब भारत सिर्फ़ जवाब नहीं देता, मानक तय करता है
पिछले ग्यारह वर्षों में भारत की सुरक्षा नीति ने यह साफ कर दिया है कि:
-अब हम दूसरों पर निर्भर नहीं हैं
-हम जवाब भी देंगे, और समय आने पर पहल भी करेंगे
-हम आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं
-और सबसे बड़ी बात — अब हम विकसित भारत बनने की ओर एक मजबूत कदम रख चुके हैं

आज का भारत वो नहीं है जो 10 साल पहले था। यह बदलाव सिर्फ़ सरकार की नीतियों से नहीं, बल्कि एक मजबूत इच्छाशक्ति, दूरदृष्टि और स्पष्ट प्राथमिकताओं से संभव हुआ है। यह एक ऐसा सफर है जहां रक्षा और विकास, दोनों को एक साथ साधा गया है।

आने वाले समय में जब हम 2030 या 2035 की ओर देखेंगे, तो शायद यही दशक हमें इतिहास की सबसे बड़ी छलांग के रूप में याद आए।

आप भारत की सुरक्षा नीति में सबसे बड़ा बदलाव किसे मानते हैं?

सोर्स पीआईबी

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