"कभी-कभी एक मुलाक़ात आपकी सोच की दिशा ही बदल देती है…"
ठीक ऐसा ही हुआ 2024 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) के प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ, जब वो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे उनके निवास – 7, लोक कल्याण मार्ग पर।
अब सोचिए, देश के सबसे ऊंचे पद पर बैठे इंसान से आमने-सामने बातचीत करना, वो भी तब जब आप एक युवा अफसर हों– अपने करियर की शुरुआत कर रहे हों। जाहिर है, यह अनुभव हर किसी के लिए यादगार बना होगा।
बात हुई दोस्ती की, सेवा की, और भविष्य की
प्रधानमंत्री ने बातचीत की शुरुआत एक बहुत ही दिलचस्प विचार से की – भारत अब दुनिया में 'विश्वबंधु' की भूमिका निभा रहा है। मतलब? एक ऐसा देश जो सिर्फ अपने फायदे के बारे में नहीं सोचता, बल्कि जरूरतमंदों की मदद करने में सबसे आगे रहता है।
चाहे कोविड के वक्त वैक्सीन भेजना हो, चाहे किसी देश में आपदा आई हो – भारत ने हमेशा मदद का हाथ बढ़ाया है। और यही तो असली डिप्लोमेसी है – दिल से दिल जोड़ना।
"2047 तक विकसित भारत" – इसमें आप सबकी भूमिका है!
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 2047, जब भारत को आजादी के 100 साल पूरे होंगे, तब तक हमें एक विकसित देश बनना है। और इस मिशन में इन युवा राजनयिकों की जिम्मेदारी बहुत बड़ी है।
उन्होंने कहा– “आप सिर्फ अफसर नहीं, भारत के प्रतिनिधि हैं। दुनिया भारत को आपसे पहचानेगी।”
ये बात सुनकर शायद हर प्रशिक्षु के दिल में जोश की एक लहर दौड़ गई होगी!
तकनीक, संस्कृति और संवाद– तीन जरूरी सूत्र
बात सिर्फ विदेश नीति की नहीं हुई, बल्कि यह भी समझाया गया कि आज की टेक्नोलॉजी-ड्रिवन दुनिया में संवाद (communication) की कितनी बड़ी भूमिका है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि भारतीय मिशनों की वेबसाइट्स को और बेहतर बनाया जाए ताकि प्रवासी भारतीयों और अन्य देशों के लोग भारत से ज्यादा अच्छे से जुड़ सकें।
साथ ही, भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को दुनिया तक पहुंचाने की बात भी सामने आई। “अपने भारत को जानें” जैसी क्विज और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के जरिए विदेशी युवाओं में भारत के लिए दिलचस्पी कैसे जगाई जाए – इस पर भी चर्चा हुई।
अंतरिक्ष में भी भारत का दम!
अब ये सुनना तो और भी दिलचस्प था – प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला है, तो जरूरी है कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अवसर तलाशें।
मतलब – हमारे स्टार्टअप्स अब सिर्फ भारत नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए स्पेस सॉल्यूशंस बना सकते हैं!
क्या बोले प्रशिक्षु?
प्रशिक्षुओं ने भी अपने अनुभव साझा किए– चाहे वो समुद्री कूटनीति हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो या फिर भारत की सॉफ्ट पावर को लेकर रिसर्च। यह दिखाता है कि आज का युवा अधिकारी सिर्फ फाइलों में नहीं, फील्ड में उतरकर सोच रहा है।
एक मुलाकात जो बस ‘औपचारिक’ नहीं थी...
इस मुलाकात की सबसे खास बात यही रही कि यह सिर्फ औपचारिक अभिवादन नहीं था। यह एक ऐसा संवाद था जहां देश का नेता अपने भावी प्रतिनिधियों से खुलकर बात कर रहा था– उन्हें समझा रहा था कि भारत को कहां ले जाना है और कैसे।
जो भी हो, इतना तय है – इन 33 युवा अधिकारियों के लिए यह दिन कभी न भूलने वाला बना होगा।
आपका क्या मानना है? क्या भारत की 'विश्वबंधु' वाली सोच आने वाले वक्त में नई दिशा तय कर सकती है? नीचे कॉमेंट में जरूर बताएं! ✍️
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